गेली काही दशके भारतीय सामाजिक शास्त्रांना ‘सबअल्टर्न’ने पछाडले आहे. त्याचा नेमका अर्थ काय ते या कवितेत कळतो –
जो पुल बनाएंगे / अज्ञेय
जो पुल बनाएंगे
वे अनिवार्यत:
पीछे रह जाएंगे।
सेनाएँ हो जाएंगी पार
मारे जाएंगे रावण
जयी होंगे राम,
जो निर्माता रहे
इतिहास में
बन्दर कहलाएंगे